ज़िन्दगी - एक खूबसूरत सफ़र... न जाने किस मोड़ से ये ज़िंदगी गुज़र रही है, हर ख्वाहिश अब धीरे धीरे मर रही है, मौसम की सर्दी दिल में घर कर रही है, रातों की खामोशी अब ज़हन में उतर रही है... न जाने किस मोड़ से ये ज़िंदगी गुज़र रही है, हर ख्वाहिश अब धीरे धीरे मर रही है, मौसम की सर्दी दिल में घर कर रही है, रातों की खामोशी अब ज़हन में उतर रही है। पहले जान हुआ करता था महफ़िल की, लेकिन आज गुमसुम बैठा हूँ, ज़िन्दगी को चुनौती देता था हर रोज़,