वो आकर बैठे थे पहलू में पर मुझसे तो बात न हुई, मैं एकटक निहारती रही उन्हें पर मुलाकात न हुई। उन्होंने तो लुटाया इश्क ही इश्क शाम-ए-फिज़ा में, सबने लूटा बस मेरे लिए उस शाम की रात न हुई। थी शादियाॅं उस रोज़ उन्होंने भी निकाह कुबूला था, घर सबके दमके थे बस मेरे घर कोई बारात न हुई। इश्क के जनाज़े में शबभर हम फूट-फूट के रोते रहे, इकतरफा इश्क अधर में ही रहा उसकी जात न हुई। मुकम्मल हुई सबकी दुआऍं, मेहबूब सबके साथ थे, हर सफ़र में अकेली रही मेरे हिस्से ये सौगात न हुई। ज़िंदगी तो मैंने उसके सदके में कब की वार दी थी, मुझे गम है कि मौत की मेरे हिस्से तहकीकात न हुई। मुझको गिले-शिकवे तो उसे जताना है बहुत 'भाग्य', पर उससे मिलूॅं दुबारा ऐसी किस्मत की खैरात न हुई। #kkबैरागीश्री ✨✨✨✨✨✨*2*✨✨✨✨✨✨ वो आकर बैठे थे पहलू में पर मुझसे तो बात न हुई, मैं एकटक निहारती रही उन्हें पर मुलाकात न हुई। उन्होंने तो लुटाया इश्क ही इश्क शाम-ए-फिज़ा में,