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मझधारो के बीच फसी है कश्ती, किनारा मिलेगा के नहीं

मझधारो के बीच फसी है कश्ती, किनारा मिलेगा के नहीं मालूम नहीं...
बाजूओ पर यकीन है अपनी
लेहरे साथ देंगी.. मालूम नहीं...
जीवन की डगर ही है कुछ ऐसी मंजिल मिलेगी... मालूम नहीं
प्यासे को उम्मीद है एक बूंद से..प्यास मिटेगी मालूम नहीं... मालूम नहीं
मझधारो के बीच फसी है कश्ती, किनारा मिलेगा के नहीं मालूम नहीं...
बाजूओ पर यकीन है अपनी
लेहरे साथ देंगी.. मालूम नहीं...
जीवन की डगर ही है कुछ ऐसी मंजिल मिलेगी... मालूम नहीं
प्यासे को उम्मीद है एक बूंद से..प्यास मिटेगी मालूम नहीं... मालूम नहीं
ektalohmor3318

Ekta Lohmor

Bronze Star
New Creator