मझधारो के बीच फसी है कश्ती, किनारा मिलेगा के नहीं मालूम नहीं... बाजूओ पर यकीन है अपनी लेहरे साथ देंगी.. मालूम नहीं... जीवन की डगर ही है कुछ ऐसी मंजिल मिलेगी... मालूम नहीं प्यासे को उम्मीद है एक बूंद से..प्यास मिटेगी मालूम नहीं... मालूम नहीं