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ठूंठती रही निग़ाहें तुम्हें, पलकें बिना करवटें बदल

ठूंठती रही निग़ाहें तुम्हें, पलकें बिना करवटें बदले 
"नफ़रते" क्यों इतनी थी, मेरी 'मुखड़े' से "पगले"

©अनुषी का पिटारा..
  #Muhabbat #Shikayte #अनुषी_का_पिटारा