कलयुग का अन्त और कल्की अवतार। जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो सकता हैं, या ऐसा ही होगा। ऐसा ही एक विषय हैं, कलयुग का अन्त और कल्की अवतार। कलयुग का अन्त और भगवान विष्णु का इस आयाम के अन्तिम अवतार कल्की अवतार का सम्बंध आपस मे जुडा हैं। कहाँ जाता हैं की जब कलयुग अपनी चरम सीमा पर पहुँच जायेगा तब भगवान खुद अवतार लेकर कलयुग के पापियों का संहार करेंगे और उसके बाद इस कलयुग का अन्त हो जायेगा। साथ ही साथ इस ब्रह्माण्ड का एक आयाम और पुर्ण हो जायेगा। कल्की अवतार के बारे मे भागवत पुराण, कल्की पुराण और ब्रह्म वैवर्त पुराण मे विस्तार पूर्वक बताया गया हैं। भागवत पुराण मे जब राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा की कलयुग का अन्त कैसे होगा तो उन्होने कहाँ था, कलयुग सिर्फ अनेतिकता का युग हैं। यहां जो भी होगा वह अनेतिक ही होगा। और जब कलयुग अपने चरम पर पहुँच जायेगा, अर्थात् जब माता और पुत्र मे कोई मान सम्मान नही होगा। बहन-भाई, माँ-बेटे और पिता-बेटी के रिश्ते अपनी पवित्रता को खो देंगे।