इबादत है इश्क मेरा, ईद शुरू जब हो छत पर दीदार तेरा। काफिर कहे ,गुनहगार कहे तेरी मर्जी, दीवाना कहे मुझको मुख्तलिफ संसार तेरा। तू मालिक है इस दिल की तोड़े ,रखे या फना कर दे है ये अधिकार तेरा। हंगामा कर के जताना नहीं फितरत मेरी, समझे गर तू आँखो से इजहार मेरा। सिर्फ एक बार तू हाँ कह दे जीते जी जन्नत मिल जाएगी, पूरा होगा इंतजार मेरा। 🎀 Challenge-282 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 ईद की हार्दिक शुभकामनाएँ 🎀 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।