मैं भोर की एक किरण अंधकार से भरा जगत सारा। हे कृष्ण!कर सकूँ उजाला गर तुम दे दो कुछ सहारा। मैं पानी की एक बूंद प्यास से व्याकुल हर कण्ठ हारा। हे गोविंद!तृप्त कर सकूँ गर तुम बन जाओ कोई धारा। मैं टिमटिमाता एक जुगनू पकड़ने दौड़ता हर हाथ मुझे। हे कान्हा! कृपा कर तुम बना दीजिए इक मशाल मुझे। सुप्रभातम साथियो...😊💐 #गुरु_और_शिष्य का नाता भी परस्पर मित्रवत ही होता है। एक दूसरे से मन की उलझनें सुलझाने के लिए तत्पर रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार गुरु की गरिमा का अध्ययन किया जाए तो कृष्ण मुझे शानदार लगते हैं। एकमात्र वही हैं जो कहते हैं कि "मैं वासुदेव" जगत के सभी भूतों (प्राणियों) के हृदय में निवास करता हूँ। तुम अपने बुद्धिकौशल से मुझपर माया का आवरण डाल कर उसी के भक्त हो जाते हो। माया के भक्त होना ही कर्म की गति को आगे बढ़ाता है। तो मैं "कर्मण्डेयवाधिकारस्ते" का सूत्र देता हूँ। कुछ लोग इसे