आसमां से जो हमने उतारे थे कभी। जुगनू हो गए हैं जो सितारे थे कभी। यक ब यक बदलने लगे लोग चेहरे। दरिया हो गए हैं जो किनारे थे कभी। #गज़ल #शशांक_मिश्रा_सफ़ीर