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जल्द नाराज़ हो जाने वाले पुरुष वंचित रह गए स्त्री क

जल्द नाराज़ हो जाने वाले पुरुष
वंचित रह गए
स्त्री के आमोद और प्रमोद से..

बेहद हिदायती पुरुषों ने
नही देखा 
स्त्री का जश्न..

आवश्यकता से अधिक मितव्ययी पुरुष
जान ही न पाए
स्त्री का उल्लास और उमंग ..

पुरुषों का अहं
बंधा रहा उनकी आंखों पर पट्टी बन
वे नहीं देख पाए
स्त्री की अनुपम कलाएं..

पुरुषों की उदासीनता ने
राग की स्रोतस्विनी पर 
उदासी का बांध बनाया..

अपनी हर इच्छा को बलात् थोपने वाले पुरुष
अनुभूत नहीं कर पाए
स्त्री प्रेम की प्रगाढ़ता...

समय निरा शोर रहा बहता गया
अनन्त संभावनाओं और सपनों के आवरण में ढकी एक अनोखी नदी यूँ ही सूखती गई..
❤️❤️

©Shobha Gahlot  #Purush
जल्द नाराज़ हो जाने वाले पुरुष
वंचित रह गए
स्त्री के आमोद और प्रमोद से..

बेहद हिदायती पुरुषों ने
नही देखा 
स्त्री का जश्न..

आवश्यकता से अधिक मितव्ययी पुरुष
जान ही न पाए
स्त्री का उल्लास और उमंग ..

पुरुषों का अहं
बंधा रहा उनकी आंखों पर पट्टी बन
वे नहीं देख पाए
स्त्री की अनुपम कलाएं..

पुरुषों की उदासीनता ने
राग की स्रोतस्विनी पर 
उदासी का बांध बनाया..

अपनी हर इच्छा को बलात् थोपने वाले पुरुष
अनुभूत नहीं कर पाए
स्त्री प्रेम की प्रगाढ़ता...

समय निरा शोर रहा बहता गया
अनन्त संभावनाओं और सपनों के आवरण में ढकी एक अनोखी नदी यूँ ही सूखती गई..
❤️❤️

©Shobha Gahlot  #Purush