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मैं कहाँ होती गर तुम न होते ठौर कहाँ पाती गर तुम न

मैं कहाँ होती गर तुम न होते
ठौर कहाँ पाती गर तुम न होते

होते दिन-रात तो तब भी ऐसे ही
हसीन सवेरे न होते गर तुम न होते

आते पेड़ों पर फूल-पत्ते तब भी
बहारें ऐसी न होतीं गर तुम न होते

बरसते बादल ज़ोरों से ऐसे ही
'मन' न भीगता गर तुम न होते

उमड़ते भाव मन में तब भी
गीत न बनते गर तुम न होते

मैं कहाँ फिर मैं ही रहती
साथ गर तुम न मेरे होते..!
🌹 वैवाहिक वर्षगाँठ पर पतिदेव के लिए
कुछ पंक्तियाँ😊😊😊


मैं कहाँ होती गर तुम न होते
ठौर कहाँ पाती गर तुम न होते

होते दिन-रात तो तब भी ऐसे ही
मैं कहाँ होती गर तुम न होते
ठौर कहाँ पाती गर तुम न होते

होते दिन-रात तो तब भी ऐसे ही
हसीन सवेरे न होते गर तुम न होते

आते पेड़ों पर फूल-पत्ते तब भी
बहारें ऐसी न होतीं गर तुम न होते

बरसते बादल ज़ोरों से ऐसे ही
'मन' न भीगता गर तुम न होते

उमड़ते भाव मन में तब भी
गीत न बनते गर तुम न होते

मैं कहाँ फिर मैं ही रहती
साथ गर तुम न मेरे होते..!
🌹 वैवाहिक वर्षगाँठ पर पतिदेव के लिए
कुछ पंक्तियाँ😊😊😊


मैं कहाँ होती गर तुम न होते
ठौर कहाँ पाती गर तुम न होते

होते दिन-रात तो तब भी ऐसे ही