रास्ते दो थे मेरे पास एक तो किस्मत को दोष देती आराम से सोती दूसरा खुद को परखती और आगे बढ़ती । पहले के बारे में औरौ से सुना था दूसरे रास्ते को मैं खुद जी रही थी। मैं भी जानती थी मैं कितना कर रही थी और कितना पा रही थी। यूं ही खुद को बेहतल बनाने की कोशिश में लगी थी। चेहरे पर मुस्कान लिए मैं कुछ यूं ही चल रही थी। #रासते