वो सुर्ख लाल पंखुड़ियाँ खुलने को हो बेताब , हर छुअन से क्यारियाँ जैसे रेंगें हजारों मादक ख़्वाब , उन नाजुक नाजुक , कोपलों को अधरों की गर्म भाप और जिव्हा की तरंग लिए जैसे बरसे सुधा के गागर बन कोई माहताब ...वो सुर्ख लाल ... पंखुड़ियाँ खुलने को हो बेताब ..... Hola writers! Collab on this delicate background and spread the sensations through your original erotic thoughts. #MnMpetals #erotica #yqbaba #moansandmoons #sensual #YourQuoteAndMine Collaborating with Moans & Moons #neerajwriteserotica