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मैं पापा की बेटी प्यारी थी पूरे घर की राजदुलारी थी

मैं पापा की बेटी प्यारी थी पूरे घर की राजदुलारी थी,
घर तो मेरा जन्नत था बाहर की दुनिया न्यारी थी

कहने को सभ्य समाज था पर न सभ्यता के पास था
खुद की तो बेटी अच्छी थी,औरों के लीये अलग अंदाज था

हमको रिवाजों में बाधा था लड़कों पे सवाल न दागा था
सब लड़किया गलत हो जाती हैं क्यों लड़के विस्वासपात्र साथी हैं

क्या इस पर कुछ वो कह पाते, कभी ढंग की न करते बातें,
पर मुझको तो इनमें ही रहना था सब हँसते-हँसते सहना था

फिर भी जीवन खुशहाल था बिल्कुल न कुतूहल के पास था
जाने फिर किसकी नज़र लगी जिन्दगी ही सारी उजड़ गई

कॉलेज से घर मैं आ रही थी रास्ते से अकेले जा रही थी,
एक बहसि वहाँ तब आ पहुँचा बोला करता तुझसे प्यार सच्चा

केवल मेरी ही तु बन सकती है नहीं तो खुश कैसे रह सकती है,
इतना ही बोल वो पाया था कुछ समझ न मुझको आया था,

कई कोशिश की उसे मनाने की उसे सही रास्ते पर लाने की
कुछ समझ न उसने चाहा था वो तो जानवर बनकर आया था

तभी एसिड मुझ पर डाल दिया मुझे जीते जी क्यों मार दिया
क्या इस चेहरे में इतनी कमियां थी जो उसे बिल्कुल ही बिगाड़ दिया

मुझ पे विपत्ति भारी थी लोगों की बातें जारी थी
सब मुझको ही गलत ठहराते थे टूटे सभी रिश्ते नाते थे

मैं अब तुझमें न रह पाऊँगी न ही हँसते-हँसते सह पाऊँगी
मुझको कुछ औऱ न सहना था ये झूठे समाज से कहना था

सब लड़कियां गलत न होती है थोड़े तो लड़के भी दोषी हैं
तुम इनको मजनूं कहते हो अरे ये तो मानसिक रोगी हैं

बातें तो बहुत हैं कहने को पर कहके ही क्या पाऊँगी,

जरूरत है सोच बदलने की अब सोच बदल दिखलाऊँगी
जरूरत है सोच बदलने की अब सोच बदल दिखलाऊँगी #एसिडअटैक
मैं पापा की बेटी प्यारी थी पूरे घर की राजदुलारी थी,
घर तो मेरा जन्नत था बाहर की दुनिया न्यारी थी

कहने को सभ्य समाज था पर न सभ्यता के पास था
खुद की तो बेटी अच्छी थी,औरों के लीये अलग अंदाज था

हमको रिवाजों में बाधा था लड़कों पे सवाल न दागा था
सब लड़किया गलत हो जाती हैं क्यों लड़के विस्वासपात्र साथी हैं

क्या इस पर कुछ वो कह पाते, कभी ढंग की न करते बातें,
पर मुझको तो इनमें ही रहना था सब हँसते-हँसते सहना था

फिर भी जीवन खुशहाल था बिल्कुल न कुतूहल के पास था
जाने फिर किसकी नज़र लगी जिन्दगी ही सारी उजड़ गई

कॉलेज से घर मैं आ रही थी रास्ते से अकेले जा रही थी,
एक बहसि वहाँ तब आ पहुँचा बोला करता तुझसे प्यार सच्चा

केवल मेरी ही तु बन सकती है नहीं तो खुश कैसे रह सकती है,
इतना ही बोल वो पाया था कुछ समझ न मुझको आया था,

कई कोशिश की उसे मनाने की उसे सही रास्ते पर लाने की
कुछ समझ न उसने चाहा था वो तो जानवर बनकर आया था

तभी एसिड मुझ पर डाल दिया मुझे जीते जी क्यों मार दिया
क्या इस चेहरे में इतनी कमियां थी जो उसे बिल्कुल ही बिगाड़ दिया

मुझ पे विपत्ति भारी थी लोगों की बातें जारी थी
सब मुझको ही गलत ठहराते थे टूटे सभी रिश्ते नाते थे

मैं अब तुझमें न रह पाऊँगी न ही हँसते-हँसते सह पाऊँगी
मुझको कुछ औऱ न सहना था ये झूठे समाज से कहना था

सब लड़कियां गलत न होती है थोड़े तो लड़के भी दोषी हैं
तुम इनको मजनूं कहते हो अरे ये तो मानसिक रोगी हैं

बातें तो बहुत हैं कहने को पर कहके ही क्या पाऊँगी,

जरूरत है सोच बदलने की अब सोच बदल दिखलाऊँगी
जरूरत है सोच बदलने की अब सोच बदल दिखलाऊँगी #एसिडअटैक
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