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#OpenPoetry ऐय क़लम जरा और ठहर जा। अभी चलना मुनासिफ

#OpenPoetry ऐय क़लम जरा और ठहर जा।
अभी चलना मुनासिफ नही।
जरा दूर तलक चलने तो दे।
जो आज भाग रहे है अनदेखा कर।
उन्हें सम्भले का एक मौका तो दे।

लोगो का इतिहास इतना छोटा भी न हो।
की वो लौट के उसको बदल सके।
जरा और ठहर उनका इतिहास बड़ा तो होने दे।







#अधूरेअल्फ़ाज़................ #OpenPoetry 
#अधूरेअल्फ़ाज़
#OpenPoetry ऐय क़लम जरा और ठहर जा।
अभी चलना मुनासिफ नही।
जरा दूर तलक चलने तो दे।
जो आज भाग रहे है अनदेखा कर।
उन्हें सम्भले का एक मौका तो दे।

लोगो का इतिहास इतना छोटा भी न हो।
की वो लौट के उसको बदल सके।
जरा और ठहर उनका इतिहास बड़ा तो होने दे।







#अधूरेअल्फ़ाज़................ #OpenPoetry 
#अधूरेअल्फ़ाज़