जठर उस्म मे व्यथा वास्प बन उड़ी जाए गगन तक.... मन व्याकुल हो बोला, बस अब और कब तक... हो शीतल सलील से, खट्टे दिन थे अब तक..... तलवारों- सी टूटी आंधी, विपदा बीती अब तक... चढ़ा प्रत्यंचा धनुष पर... भेद न पाए लक्ष जब तक... मान ले यह बात... रुकना मत तब तक... रुकना मत तब तक... -NBDOGAYA #agaz