नहीं मालूम है तुमको जमाना दर्द देता है। तेरी यादों की उल्फत में न कोई रोने देता है तड़प कर मरने को दर दर जमाना छोड देता है। उजाला चांद देता है अंधेरी दिल की रातों में। गुजर जातीं हैं रातें ये वो गुजरी तेरी बातों में कहूं किसको हाले दिल का जिसे देखूं वही रुख मोड़ लेता है। नहीं मालूम है तुमको, जमाना दर्द देता है।। मज़े की बात तो ये है, यहां आँखों के आँशू को ये नग्मे क्यूं छिपाते हैं। यहां आँखों के आंशू को, लोग पानी बताते हैं।। यहां इख्लास इज्तिरार बन कर रह गया समझो, यहां तो संवरे शीशे को जमाना तोड़ देता है।। नहीं मालूम है तुमको, जमाना दर्द देता है ।। Yogesh Sharma नहीं मालूम है तुमको