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किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च। दुर्लभा चित

किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च। 
दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम्॥

बहुत कहने से क्या करोडों शास्त्रों से भी क्या 
चित्त की परम शान्तिः, गुरु के बिना मिलना दुर्लभ है

©BABAPATHAKPURIYA
  #गुरु #पूर्णिमा की #हार्दिक #शुभकामनाएं