एक से बढ़कर एक! *** मुझे लगा! न कोई कम! न कोई ज्यादा! सब एक से बढ़कर एक! न आसमां कम है! न धरती कम है! सूरज चाॕँद सितारें बरसती बारिश की बौछारें इंद्रधनुष की तस्वीरें अंगड़ाई लेती बहारें, कल-कल करता सागर पगडंडियों से जुड़े गांव-नगर लहलहाते खेत, बहती सौंधी बयार रंभाती गायें, माॕँ की ममता व प्यार, चहकते पक्षी, उड़ती तितलियां मधु-मधुर, संजीवन औषधीयां कुसुम-से खिले रुखसार, सबा रोशनियां नवयौवनायें, मेहंदी से सजी हथेलियां, सुदूर पारलौकिक स्वर्ग कर्म के पुण्य का जितस्वर्ग गुरुकृपा का प्रसाद अपवर्ग मनुज के आनन्द का भूस्वर्ग, ईश्वर-अल्लाह, संसार-सागर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई बाख़बर जन्म, जीवन व मृत्यु का सफ़र उदार चरित्र, नेक कर्म होते अमर, अब तुम ही बताओ.... कौन है कम! कौन है बढ़कर! मेरी नजर में... सब एक से बढ़कर एक! ~ गोपाल 'साहिल' #glal #eksebadhkarek #unique #hindipoetry #hindiwriters #hindipoem #yqbaba #yqdidi