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*नाकाम आशिक़* पार्ट १- “गुलाब दिवस” बी.कॉम सेके

*नाकाम आशिक़*
पार्ट १- “गुलाब दिवस” 

बी.कॉम  सेकेण्ड ईयर में पढ़ने वाला विशाल अभी नया नया जवान हुआ था। यही कोई उन्निस बीस के आस पास! सारूख की फ़िल्म देख के बौराया हुआ। गाँव से दूर पढ़ाई करने निकलने वाला ये लड़का शहर में पढ़ाई छोड़ सब कुछ कर रहा था। दोस्ती-दुनियादारी साथ निभा रहा था। इसका एक रूम मेट लक्ष्मण जो पढ़ाई में बी॰ए॰ कर रहा था और मिज़ाज से थोड़ा हरामी था!

विशाल के क्लास में पढ़ती थी निधि। निधि चौधरी। निधि अपने आप में मस्त रहने वाली लड़की थी। दुनिया दारी से परे। जिसे न डबल मीनिंग जोक समझ में आते थे और न ही “वन फ़ोर थ्री” का मतलब। वो कोलेज रेग्युलर आती थी। पढ़ाई में तो बहुत मन नहीं लगता था उसका पर कोलेज में सहेलियों का साथ उसे ख़ूब भाता था। निधि के पिताजी फ़ौज से रिटायर थे और दो भाईयों में से एल फ़ौज में ही था और दूसरा फ़ौज की तैयारी कर रहा था।

कोलेज के पहले दिन ही विशाल को निधि से बेइंतहा फ़िल्मी प्यार हो गया। फ़र्स्ट ईयर तो बस उसको देखते देखते ही निकल गया। सपने भी अब उसे निधि के ही आते थे। जागते वक़्त भी और सोते वक़्त भी। निधि जिस जिस जगह भी कोचिंग पढ़ने जाती विशाल वहाँ वहाँ एडमिशन ले लेता। कम्प्यूटर क्लास से लेके म्यूज़िक की क्लास हर जगह। एक बात तो महाशय “महिला सिलाई-कढ़ाई संस्थान” भी पहुँच गए पर वहाँ से दुत्कार के भाग दिया गया।

*नाकाम आशिक़* पार्ट १- “गुलाब दिवस” बी.कॉम सेकेण्ड ईयर में पढ़ने वाला विशाल अभी नया नया जवान हुआ था। यही कोई उन्निस बीस के आस पास! सारूख की फ़िल्म देख के बौराया हुआ। गाँव से दूर पढ़ाई करने निकलने वाला ये लड़का शहर में पढ़ाई छोड़ सब कुछ कर रहा था। दोस्ती-दुनियादारी साथ निभा रहा था। इसका एक रूम मेट लक्ष्मण जो पढ़ाई में बी॰ए॰ कर रहा था और मिज़ाज से थोड़ा हरामी था! विशाल के क्लास में पढ़ती थी निधि। निधि चौधरी। निधि अपने आप में मस्त रहने वाली लड़की थी। दुनिया दारी से परे। जिसे न डबल मीनिंग जोक समझ में आते थे और न ही “वन फ़ोर थ्री” का मतलब। वो कोलेज रेग्युलर आती थी। पढ़ाई में तो बहुत मन नहीं लगता था उसका पर कोलेज में सहेलियों का साथ उसे ख़ूब भाता था। निधि के पिताजी फ़ौज से रिटायर थे और दो भाईयों में से एल फ़ौज में ही था और दूसरा फ़ौज की तैयारी कर रहा था। कोलेज के पहले दिन ही विशाल को निधि से बेइंतहा फ़िल्मी प्यार हो गया। फ़र्स्ट ईयर तो बस उसको देखते देखते ही निकल गया। सपने भी अब उसे निधि के ही आते थे। जागते वक़्त भी और सोते वक़्त भी। निधि जिस जिस जगह भी कोचिंग पढ़ने जाती विशाल वहाँ वहाँ एडमिशन ले लेता। कम्प्यूटर क्लास से लेके म्यूज़िक की क्लास हर जगह। एक बात तो महाशय “महिला सिलाई-कढ़ाई संस्थान” भी पहुँच गए पर वहाँ से दुत्कार के भाग दिया गया। #Books

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