मकान खाली है... कब से नहीं आया कोई रहने मकान खाली है दरवाजे़ पर ताला, खिड़की खुली हुई मकान खाली है ! मकड़ी के जालों में ढकी हुई है कईं तस्वीरें साफ़ करें कौन, यहाँ कोई नहीं रहता मकान खाली है ! उजड़ता है घर तकदीर से, कभी उजाड़ा गया होगा रोशनी भी वहाँ जाने से कतराती; कहती मकान खाली है ! ईंट-ईंट जोड़ कर बनाया घर बड़े जतन से वो बिछड़ गए एक ही छत के अंदर रहनेवाले मकान खाली है ! हर कोई समझदार है; किसी को दूसरे की क्या पड़ी जिंदगी जब नागवार गुजरी; यादों का जहान खाली है ! लाशों से क्या पुछना हाल अब, कंधे पर लेटे जा रहे मुर्दे सब जल गए राख तो है; मगर शमशान खाली है ! ©पूर्वार्थ #mera_shehar