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उम्र के पड़ाव ठहरनुमा नहीं होते जबकि उलझनों के साए

उम्र के पड़ाव
ठहरनुमा नहीं होते
जबकि
उलझनों के साए में
जज्बात सिकुड़ जाते हैं
फिर कभी आहें 
जब वापसी करती है
तो खाव भी अधूरे हो जाते हैं,
वो अनन्त क्षणों को जोड़ना
कुदरत का काम है
जहाँ से हमारी
नसीबी-बदनसीबी
हमें करवट लेने को
मजबूर करता है।

अनन्त सुभकामनाएँ सौरभ
जीवन के नए पड़ाव में
प्रवेश के लिए!

©सौरभ अश्क #SpecailDay
उम्र के पड़ाव
ठहरनुमा नहीं होते
जबकि
उलझनों के साए में
जज्बात सिकुड़ जाते हैं
फिर कभी आहें 
जब वापसी करती है
तो खाव भी अधूरे हो जाते हैं,
वो अनन्त क्षणों को जोड़ना
कुदरत का काम है
जहाँ से हमारी
नसीबी-बदनसीबी
हमें करवट लेने को
मजबूर करता है।

अनन्त सुभकामनाएँ सौरभ
जीवन के नए पड़ाव में
प्रवेश के लिए!

©सौरभ अश्क #SpecailDay