उम्र के पड़ाव ठहरनुमा नहीं होते जबकि उलझनों के साए में जज्बात सिकुड़ जाते हैं फिर कभी आहें जब वापसी करती है तो खाव भी अधूरे हो जाते हैं, वो अनन्त क्षणों को जोड़ना कुदरत का काम है जहाँ से हमारी नसीबी-बदनसीबी हमें करवट लेने को मजबूर करता है। अनन्त सुभकामनाएँ सौरभ जीवन के नए पड़ाव में प्रवेश के लिए! ©सौरभ अश्क #SpecailDay