ना जाने क्यों बरस पड़े, वो इन्द्र देव इन पहाड़ो पर | नष्ट हुआ हर ज़रा-ज़रा , दरार पड़ी दीवारों पर || देख इस जल का जलजला , बिजली कौंध पड़ी नजारो पर | छोड़ गया इस बर्बादी को, वो न जाने किन सहारों पर || राहत सामग्री की जगह देखो, नेता आए जहाजों पर | नीचे का मंजर देखा तो , लाशें पड़ी थी दरवाजो पर || सदा भरी रहने वाली घाटी मैं ,आज न कोई रस्ते पे था,न चौराहों पर | आगे कुवां था तो पीछे खाई| भक्त खड़े थे दोराहों पर || तब हरित वस्त्र में देव आये , बचाए लोग हजारों पर | देश के नेता खेद जताने , आये थे जहाजों पर || #flood #helpforkerla Akshita Jangid