अश्रू नहीं हैं, स्तब्ध हूँ मौन हूँ.. ना कोई विचार है ना एहसास, ना धड़कन चल रही ना सांस.. ना रक्त है ना कोई गति, तन-मन सब शून्य में विलीन है.. क्या तुम मुझे महसूस कर रहे हो?? "नहीं" जब सांसे थी जीवन था.. मुझ में ब्रह्मांड का शोर था.. क्या तब महसूस कर सकते थे तुम?? नहीं तब भी नहीं और अब भी नहीं.. क्योंकि अगर तुम महसूस कर सकते होते, तो आज मैं जीवन को महसूस कर रही होती.. No words..#justiceformanisha हैवानियत कुछ इस कदर बढ़ गयी है की इंसानियत ही नहीं बची अब..