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तेरी राह की आस में, शिला पाषाण बनकर पड़ी हूँ, कब त

तेरी राह की आस में, शिला पाषाण बनकर पड़ी हूँ,
कब तेरे चरण रज मिलेंगे, अहिल्या बनकर खड़ी हूँ।

 भेजने का समय आज रात 12 बजे तक
परिणाम की घोषणा कल दोपहर 1 बजे।

सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 साहित्यिक सहायक 

शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻

1. फॉन्ट छोटा रखें और बॉक्स में लिखें
तेरी राह की आस में, शिला पाषाण बनकर पड़ी हूँ,
कब तेरे चरण रज मिलेंगे, अहिल्या बनकर खड़ी हूँ।

 भेजने का समय आज रात 12 बजे तक
परिणाम की घोषणा कल दोपहर 1 बजे।

सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 साहित्यिक सहायक 

शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻

1. फॉन्ट छोटा रखें और बॉक्स में लिखें