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मेरा प्रेम उसे एकांत में मेरी आँखों से स्पर्श

     मेरा प्रेम उसे एकांत में मेरी आँखों से स्पर्श करता था 
      उसकी झुकी पलकों को एक टक देखा करता था 

वो फिर अपनी पलकें उठा कर नज़रों से सवाल करती थी 
उनकी नज़रो से नज़रें  मिलाने के बाद 
मैं अक्सर खामोश हो जाया करता था

©Puspesh Raj
  palkein
puspeshraj8877

Puspesh Labh

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