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कबीर, सब जग निर्धना, धनवंता ना कोय। धनवान वह जानिय

 कबीर, सब जग निर्धना, धनवंता ना कोय।
धनवान वह जानिये, जापे राम नाम धन होय।।
हे मानव! मानव का पिछला इतिहास देख ले।
सर्व सोने की लंका थी, रावण से रणधीरं।
एक पलक में राज नष्ट हुआ, जम के पड़े जंजीरं।।

भावार्थ:- श्रीलंका के राजा रावण के पास इतना धन था कि उसने सोने (स्वर्ण) के महल बना रखे थे। जब विनाश हुआ तो एक रती (ग्राम) स्वर्ण भी रावण साथ नहीं ले जा सका।
 कबीर, सब जग निर्धना, धनवंता ना कोय।
धनवान वह जानिये, जापे राम नाम धन होय।।
हे मानव! मानव का पिछला इतिहास देख ले।
सर्व सोने की लंका थी, रावण से रणधीरं।
एक पलक में राज नष्ट हुआ, जम के पड़े जंजीरं।।

भावार्थ:- श्रीलंका के राजा रावण के पास इतना धन था कि उसने सोने (स्वर्ण) के महल बना रखे थे। जब विनाश हुआ तो एक रती (ग्राम) स्वर्ण भी रावण साथ नहीं ले जा सका।
aroraneha7186

Arora Neha

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