अरे हे लईकी !! शहर की छोरी, हमहु हईं लईका गाँव क गोरखपुरी, बोलिहा हमसे जनी अंग्रेजी, हमहु बोलीला जबरे भोजपुरी, नजर उठा क न देखहिया कब्बो, काहें किं आँख हम फोडी ला, ई हमार आदत ना, ह सबसे बड़ा कमजोरी.... बच के रहिया ऐ मैडम गोरी, हमरे नजर मे त औरत देवी है, लेकिन जब औरत हद से बाहर होले, त हम छोड़ी ला न थोड़ी, तुहके तुहार एटिट्यूड पंसद बा, त हमके हमार ई मजबूरी, अउर सुना "तुहके तुहरे दिल्ली बम्बई पे पंसद बा, त हमके हमरे गोरखपुर पे घमण्ड बा...." -Sp"रूपचन्द्र" गोरखपुर का भोजपुरी एटीट्यूड....