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खता-ए-इश्क़ हुई हमसे यूँ न वफ़ा कीजिए, आतिश-ए-इश्क़ म

खता-ए-इश्क़ हुई हमसे यूँ न वफ़ा कीजिए,
आतिश-ए-इश्क़ में जलकर न जफ़ा कीजिये,

दिल-ए-नादां था जो खता कर गया ए हमनशीं,
यूँ उल्फ़त को छोड़ गुफ्तगू की रहमत कीजिए,

राह-ए-इश्क़-ए-राही, गम-ए-पैमाने जरूर आयेगे,
रूठ कर जीस्त से यूँ न लौटने की ज़हमत कीजिये,

दिल के दरीचे  से सनम एक पैग़ाम तुम्हें भेजा है,
दरख्वास्त-ए-दिल की जरा अब कुबूल कीजिए।
 "अजीज/प्रिय"  "कातिबों/लेखकों"

👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है
👇👇👇
🌹" ज़हम्त / زحمت"🌹
🌷"Zahmat"🌷

👉तहरीर/मतलब= मन की परेशानी, विपदा, दर्द
खता-ए-इश्क़ हुई हमसे यूँ न वफ़ा कीजिए,
आतिश-ए-इश्क़ में जलकर न जफ़ा कीजिये,

दिल-ए-नादां था जो खता कर गया ए हमनशीं,
यूँ उल्फ़त को छोड़ गुफ्तगू की रहमत कीजिए,

राह-ए-इश्क़-ए-राही, गम-ए-पैमाने जरूर आयेगे,
रूठ कर जीस्त से यूँ न लौटने की ज़हमत कीजिये,

दिल के दरीचे  से सनम एक पैग़ाम तुम्हें भेजा है,
दरख्वास्त-ए-दिल की जरा अब कुबूल कीजिए।
 "अजीज/प्रिय"  "कातिबों/लेखकों"

👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है
👇👇👇
🌹" ज़हम्त / زحمت"🌹
🌷"Zahmat"🌷

👉तहरीर/मतलब= मन की परेशानी, विपदा, दर्द