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एक दंगल मेरे भीतर भी ।।। जब भी रात को बिस्तर पर स

एक दंगल मेरे भीतर भी ।।।

जब भी रात को बिस्तर पर सोने के लिए लेटता हूँ तो नींद की आगोश में जाने से पहले मेरा दिल और दिमाग , मेरे भीतर बैठी मेरी अंतर आत्मा से जंग करता है । वो अंतर आत्मा जिसकी आवाज़ दिन में गाड़ियों के शोर से , गानो की धुन में धीमी पढ़ जाती है । पर रात ज्यों ही अकेले होता हूँ , सोने के लिए लेटने को होता हूँ , न जाने क्यों ये दंगल करने के लिए आ जाती है मेरे साथ । मुझे सही गलत , अच्छा बुरा , संभव असंभव का ज्ञान देती है । न जाने क्यों मुझे उस मृगतृष्णा में नहीं रहने देती , जिसमे झूठी ही सही कोई उम्मीद तो है । ये भीतर भीतर मुझे एहसास दिलाती है की झूठ है , सब , मोह है ,  ये समझती नहीं की मैं  एक आम इंसान हूँ जो जीने के लिए कुछ गलतफहमियां रखना चाहता है । कभी कभी जब ये मुझे रात भर यूँ कचोटती है , मुझे लगता है न जाने क्यों मेरे बारे में मुझे इतना बताने को उत्सुक है ये । मैं वो शख्श हूँ जो खुद को ढूंढ ढूंढ के अपने अंदर थक चूका हूँ ।।
     रोज ये दंगल मुझे सोने नहीं देता , फिर जब दिल लड़ कर थक जाता है , दिमाग झगड़ कर मूर्छित हो जाता है , तब कहीं जाके सोता हूँ मैं , और फिर अपने ख़्वाबों में अपने हिसाब की जिंदगी मानकर जीता हूँ में। 
अन्तरात्मा से हार के सो कर , नींद में सपनो में जी लेता हूँ मैं , हाँ जी लेता हूँ मैं ।। एक दंगल मेरे भीतर भी #PS #Nojoto #NojotoHindi #Dangal #InnerTurmoil
एक दंगल मेरे भीतर भी ।।।

जब भी रात को बिस्तर पर सोने के लिए लेटता हूँ तो नींद की आगोश में जाने से पहले मेरा दिल और दिमाग , मेरे भीतर बैठी मेरी अंतर आत्मा से जंग करता है । वो अंतर आत्मा जिसकी आवाज़ दिन में गाड़ियों के शोर से , गानो की धुन में धीमी पढ़ जाती है । पर रात ज्यों ही अकेले होता हूँ , सोने के लिए लेटने को होता हूँ , न जाने क्यों ये दंगल करने के लिए आ जाती है मेरे साथ । मुझे सही गलत , अच्छा बुरा , संभव असंभव का ज्ञान देती है । न जाने क्यों मुझे उस मृगतृष्णा में नहीं रहने देती , जिसमे झूठी ही सही कोई उम्मीद तो है । ये भीतर भीतर मुझे एहसास दिलाती है की झूठ है , सब , मोह है ,  ये समझती नहीं की मैं  एक आम इंसान हूँ जो जीने के लिए कुछ गलतफहमियां रखना चाहता है । कभी कभी जब ये मुझे रात भर यूँ कचोटती है , मुझे लगता है न जाने क्यों मेरे बारे में मुझे इतना बताने को उत्सुक है ये । मैं वो शख्श हूँ जो खुद को ढूंढ ढूंढ के अपने अंदर थक चूका हूँ ।।
     रोज ये दंगल मुझे सोने नहीं देता , फिर जब दिल लड़ कर थक जाता है , दिमाग झगड़ कर मूर्छित हो जाता है , तब कहीं जाके सोता हूँ मैं , और फिर अपने ख़्वाबों में अपने हिसाब की जिंदगी मानकर जीता हूँ में। 
अन्तरात्मा से हार के सो कर , नींद में सपनो में जी लेता हूँ मैं , हाँ जी लेता हूँ मैं ।। एक दंगल मेरे भीतर भी #PS #Nojoto #NojotoHindi #Dangal #InnerTurmoil