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आज मेरी अमृता का जन्मदिन है , वो जिसे मैनें कभी द

आज मेरी अमृता का जन्मदिन है , 
वो जिसे मैनें कभी देखा नहीं ,
 वो जिससे कभी मेरी बात नहीं हुई
 लेकिन वो जिसे मैनें एहसास किया किताबो में ,दिल के कमड़े में एक घर दिया  है ... 
वो कहती थी जहाँ कहीं एक आज़ाद रूह की झलक मिले समझ लेना वहीं मेरा घर है ... 
और मेरी रूह पर वो अपना रसीदी टिकट छोड़ गई ... 
साहस और अपना अंदाज .. 
अपनी आखिरी कविता के वादे की तरह .... 
मैं तुझे फिर मिलूँगी ... 
कहाँ कैसे पता नहीं ...

अमृता जैसी साहसी लेखिका कागज पर काले अक्षरों से सुनहरा इतिहास लिख जाती हैं और हम पन्ने  पलट कर उनकी छाया का महज अनुमान लगा सकते हैं ...
मेरी अमृता को जन्मदिन की शुभकामनाएं ... 

मुझमें रोशन रहों और हर उस रूह में जियों जो ज़िन्दगी जीना चाहती है ....

©Nisheeth pandey आज मेरी अमृता का जन्मदिन है , 
वो जिसे मैनें कभी देखा नहीं , वो जिससे कभी मेरी बात नहीं हुई
 लेकिन वो जिसे मैनें एहसास किया किताबो में ,दिल के कमड़े में एक घर दिया  है ... वो कहती थी जहाँ कहीं एक आज़ाद रूह की झलक मिले समझ लेना वहीं मेरा घर है ... 
और मेरी रूह पर वो अपना रसीदी टिकट छोड़ गई ... साहस और अपना अंदाज .. अपनी आखिरी कविता के वादे की तरह .... 
मैं तुझे फिर मिलूँगी ... कहाँ कैसे पता नहीं ...

अमृता जैसी साहसी लेखिका कागज पर काले अक्षरों से सुनहरा इतिहास लिख जाती हैं और हम पन्ने  पलट कर उनकी छाया का महज अनुमान लगा सकते हैं ...
मेरी #अमृता  को जन्मदिन की शुभकामनाएं ...
आज मेरी अमृता का जन्मदिन है , 
वो जिसे मैनें कभी देखा नहीं ,
 वो जिससे कभी मेरी बात नहीं हुई
 लेकिन वो जिसे मैनें एहसास किया किताबो में ,दिल के कमड़े में एक घर दिया  है ... 
वो कहती थी जहाँ कहीं एक आज़ाद रूह की झलक मिले समझ लेना वहीं मेरा घर है ... 
और मेरी रूह पर वो अपना रसीदी टिकट छोड़ गई ... 
साहस और अपना अंदाज .. 
अपनी आखिरी कविता के वादे की तरह .... 
मैं तुझे फिर मिलूँगी ... 
कहाँ कैसे पता नहीं ...

अमृता जैसी साहसी लेखिका कागज पर काले अक्षरों से सुनहरा इतिहास लिख जाती हैं और हम पन्ने  पलट कर उनकी छाया का महज अनुमान लगा सकते हैं ...
मेरी अमृता को जन्मदिन की शुभकामनाएं ... 

मुझमें रोशन रहों और हर उस रूह में जियों जो ज़िन्दगी जीना चाहती है ....

©Nisheeth pandey आज मेरी अमृता का जन्मदिन है , 
वो जिसे मैनें कभी देखा नहीं , वो जिससे कभी मेरी बात नहीं हुई
 लेकिन वो जिसे मैनें एहसास किया किताबो में ,दिल के कमड़े में एक घर दिया  है ... वो कहती थी जहाँ कहीं एक आज़ाद रूह की झलक मिले समझ लेना वहीं मेरा घर है ... 
और मेरी रूह पर वो अपना रसीदी टिकट छोड़ गई ... साहस और अपना अंदाज .. अपनी आखिरी कविता के वादे की तरह .... 
मैं तुझे फिर मिलूँगी ... कहाँ कैसे पता नहीं ...

अमृता जैसी साहसी लेखिका कागज पर काले अक्षरों से सुनहरा इतिहास लिख जाती हैं और हम पन्ने  पलट कर उनकी छाया का महज अनुमान लगा सकते हैं ...
मेरी #अमृता  को जन्मदिन की शुभकामनाएं ...