एहतियातन गुज़रना उस गली से, काम कर जाता है, जिस गली का हर मोड़, बस तेरे घर जाता है !! मैं गुजरा जिस रोज़ और तेरा दीदार ना हुआ छत पर, ये बात ज़हन में आते ही, मेरा दिल डर जाता है!! पागल हूँ थोड़ा, बात करता हूँ शेर - ओ - शायरी में, तेरे एहसास से मेरी ग़ज़ल का हर शेर संवर जाता है!! यूँ चेहरा ना बनाया करो, किसी के कहने पर तुम, बनावटी चेहरे से, तुम्हारा सांवलापन मर जाता है!! आकिल नहीं "कुमार" कि समझा दे तुझको बस इतना, कि तेरा, तेरे जैसे होने से ही मेरा नसीब निखर जाता है!! Dear अनुभव, This गज़ल is dedicated to you bro and I would like to thank you for giving me your thoughts to create this post. #एहतियातन - सतर्कता से, सावधानी से #ज़हन - मन #आकिल - समझदार