सरई का फूल,सरहूल रे, पुजा जाए श्रद्धा से कबूल रे । आदिवासी - आदरणीय जंगल, फूल पुछा जाये,पुछे जो फल, फूल से पुजा जाये फूल रे । पर्व बड़ा , मनोयोग भारी, जहां, जहां सुगंध -पुजारी , हवा बहे त्योहार उसूल रे । ©BANDHETIYA OFFICIAL #झारखण्ड का सरहूल! #girl