जा के कह दो कोई सोलो से चिंगारी से फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से अपनी हर सांस को नीलाम किया है मैं ने लोग आसान हुए हैं बड़ी दुश्वारि से जहन में जब भी तेरे खत की इबरथ चमकी एक खुशबू सी निकलने लगी है अलमारी से शहजादे से मुलाकात तो नामुमकिन है चलिए मिलाते हैं चल कर किसी दरबारी से बादशाहो से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से ©Aslam Khan Aslam khan #together