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v"मेरा गाँव"d कितने सुकुन से मैं अपनी जिंदगी जी रह

v"मेरा गाँव"d
कितने सुकुन से मैं अपनी जिंदगी जी रहा था,,
अपने गाँव के गलियारों में,,
निर्भिक ,स्वतंत्रता से ओछल था मैं गाँव की गलियारों में,,
जिंदगी प्यारी लगाने लगी थी,खुले आसमानो से बाते कर रहा था मैं,,
खेतो की हरियाली उमंग भर देती थी ,हमारे जिस्मो जहान को,,
बादल की गरज,मयूर का नाचना,मेढक का उछल उछल के गीत गाना,
बारिश की रिमझिम घटा, स्वच्छ हवा देख के मैं अभिभूत हो जाता था,,
गाँव तू मुझे बहोत याद आता है,,
सरसो के खेत थे जब लहलहाते, चना बाजरा के दिन थे याद आते,,
देख के मैं अपने गाँव की हरियाली ,ख़ुशी से झूम उठता था,,
गाँव मैं तुझसे बहोत प्यार करता था,,
तेरे साथ रहने की ख्वाहिशे बुनता था,,
गाँव मैं तुझे बहोत याद करता था,,
"vikas dev dubey" मेरा गांव 

#StarsthroughTree
v"मेरा गाँव"d
कितने सुकुन से मैं अपनी जिंदगी जी रहा था,,
अपने गाँव के गलियारों में,,
निर्भिक ,स्वतंत्रता से ओछल था मैं गाँव की गलियारों में,,
जिंदगी प्यारी लगाने लगी थी,खुले आसमानो से बाते कर रहा था मैं,,
खेतो की हरियाली उमंग भर देती थी ,हमारे जिस्मो जहान को,,
बादल की गरज,मयूर का नाचना,मेढक का उछल उछल के गीत गाना,
बारिश की रिमझिम घटा, स्वच्छ हवा देख के मैं अभिभूत हो जाता था,,
गाँव तू मुझे बहोत याद आता है,,
सरसो के खेत थे जब लहलहाते, चना बाजरा के दिन थे याद आते,,
देख के मैं अपने गाँव की हरियाली ,ख़ुशी से झूम उठता था,,
गाँव मैं तुझसे बहोत प्यार करता था,,
तेरे साथ रहने की ख्वाहिशे बुनता था,,
गाँव मैं तुझे बहोत याद करता था,,
"vikas dev dubey" मेरा गांव 

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