मैं खुद क़ैद हूँ बरसों से एक बंद बक्से मे और लोग हैं जो आजाद होने मेरे दर आते हैं मैं तो गुम कर आया था खुद को ख़ुदी में एक ज़माना है जो खुद को तलाश कर रहा है मुझ में जब मिला था तुमसे तो जुते के बराबर तक ना समझा जुते बाहर उतार सर पे रुमाल बाँध लेटे हो मेरी मजार पे जब जिंदा था तो किसी लायक ना समझा दफ़न होते ही कब्र पर लाइन लगा ली तुमने जब साँस थी तो इंसान तक ना समझा अब साँस क्या थमी दर्जा ख़ुदा का दे दिया अच्छा ही हुया जो मैं मर गया यूँ भीख ज़िन्दगी की मांगने किसी के पास तो नहीं गया #nojoto_poetry #hindi_poetry #khayalat #two_liner #pure_work_of_fiction #kuch_bhi