प्रिय, कई बार तुमसे वह नहीं कह पाती जो , मैं कहना चाहती हूँ। टाल देती हूँ बातों को, विषय ही बदल देती हूँ बातचीत का । टूटता हुआ तारा हर कोई देखता है, मगर वह गुम होता है अंतरिक्ष के किसी छोर में जहाँ दुःखों का अवसान होता है । प्रिय, प्रेम का प्रथम सोपान है समर्पण! #अनाम_ख़्याल #अनाम_प्रेम #समर्पणप्रेम #प्रिये