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ये कहानी मैंने क्यों लिखी क्यों सोची नही मालूम...

ये कहानी मैंने क्यों लिखी क्यों सोची नही मालूम... पर लगा की लिखूं तो लिखी... और किसी की भावनाओ को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं लिखी... आशा है ऐसा होगा भी नही... भगवत गीता में भगवान ने कहा था अर्जुन जब व्याकुल हुए थे ... की मैं अपनो को ही कैसे मार दूं... कृष्ण ने तब समझाते हुए कहा था कि की जीवन का चक्र यही है ये जो आज अपने हैं ये पहले भी थे धरती पर, पर हमें ये ज्ञात नही वो कौन थे और आने कल में भी होंगे पर हमें तब ज्ञात नही होगा वो हमारे कौन थे ... जीवन बालपन,जवानी और बुढ़ापे, से गुजरकर दोबारा लौट आता है...
इसीलिए मृत्यु से घबराना नहीं है क्यों की मृत्यु का दूसरा पहलू पुनर्जन्म भी है... जो आपसे बिछड़े हैं वो वापस आजाएंगे... भले किसी और रूप में सही.....

इस कहानी को सब पढ़े ये मैं जरूर चाहती हूं पर अगर किसी भी वजह से ये सारी बातें आपको व्याकुल करती है जो मृत्यु से जुड़ी हैं तो ... मैं आपसे निवेदन करूंगी की आप इसे ना पढ़े .... पर अगर आपको उस मृत्यु का समापन चाहिए जो आज भी आपको परेशान करती है तो आप इस भाग को और आगे आने वाले भागों को भी पढ़े स्नेह से.... मृत्यु ...एक सत्य..  (भाग एक):

जीवन में जितनी भी उथल पुथल हम कर रहे हैं या हम सोचते है की दुनिया वाले हमारे साथ कर रहे हैं उन सब का अंत बस यही एक शब्द है .. मृत्यु .. तो क्या है ये मृत्यु वो जो एक रोज आएगी या वो जो हर रोज नहीं आती ... परेशान मत होइए आपको परेशान करने के लिए मैं ये सब नहीं कह रही.. 
मृत्यु क्या है क्यूँ है और किसके लिए क्या मायने हैं वो तो मुझे नहीं पता ... पर मैं अपनी कहानी के जरिए वो कहना चाहती हूँ जो मुझे लगता है सब को जानना चाहिए....
घबराइए मत मैं सिर्फ अपनी कल्पना लिख रही हूँ .. आपको इसमें अपनी सच्चाई मिले तो वो अलग बात है..
और हाँ मेरा मानना है की मृत्यु जब अंत है तो अंत भी स्नेह के साथ ही होना चाहिए ताकि नई शुरुआत प्रेम से की जा सके..
और किसी की भावनाओ को ठेस पहुचने के लिए मैंने ये नहीं लिखा ये सिर्फ मेरी कल्पना है और आशा है की ये कहानी सब के मन तक बिना शिकायत के पहुँचे....
ये कहानी मैंने क्यों लिखी क्यों सोची नही मालूम... पर लगा की लिखूं तो लिखी... और किसी की भावनाओ को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं लिखी... आशा है ऐसा होगा भी नही... भगवत गीता में भगवान ने कहा था अर्जुन जब व्याकुल हुए थे ... की मैं अपनो को ही कैसे मार दूं... कृष्ण ने तब समझाते हुए कहा था कि की जीवन का चक्र यही है ये जो आज अपने हैं ये पहले भी थे धरती पर, पर हमें ये ज्ञात नही वो कौन थे और आने कल में भी होंगे पर हमें तब ज्ञात नही होगा वो हमारे कौन थे ... जीवन बालपन,जवानी और बुढ़ापे, से गुजरकर दोबारा लौट आता है...
इसीलिए मृत्यु से घबराना नहीं है क्यों की मृत्यु का दूसरा पहलू पुनर्जन्म भी है... जो आपसे बिछड़े हैं वो वापस आजाएंगे... भले किसी और रूप में सही.....

इस कहानी को सब पढ़े ये मैं जरूर चाहती हूं पर अगर किसी भी वजह से ये सारी बातें आपको व्याकुल करती है जो मृत्यु से जुड़ी हैं तो ... मैं आपसे निवेदन करूंगी की आप इसे ना पढ़े .... पर अगर आपको उस मृत्यु का समापन चाहिए जो आज भी आपको परेशान करती है तो आप इस भाग को और आगे आने वाले भागों को भी पढ़े स्नेह से.... मृत्यु ...एक सत्य..  (भाग एक):

जीवन में जितनी भी उथल पुथल हम कर रहे हैं या हम सोचते है की दुनिया वाले हमारे साथ कर रहे हैं उन सब का अंत बस यही एक शब्द है .. मृत्यु .. तो क्या है ये मृत्यु वो जो एक रोज आएगी या वो जो हर रोज नहीं आती ... परेशान मत होइए आपको परेशान करने के लिए मैं ये सब नहीं कह रही.. 
मृत्यु क्या है क्यूँ है और किसके लिए क्या मायने हैं वो तो मुझे नहीं पता ... पर मैं अपनी कहानी के जरिए वो कहना चाहती हूँ जो मुझे लगता है सब को जानना चाहिए....
घबराइए मत मैं सिर्फ अपनी कल्पना लिख रही हूँ .. आपको इसमें अपनी सच्चाई मिले तो वो अलग बात है..
और हाँ मेरा मानना है की मृत्यु जब अंत है तो अंत भी स्नेह के साथ ही होना चाहिए ताकि नई शुरुआत प्रेम से की जा सके..
और किसी की भावनाओ को ठेस पहुचने के लिए मैंने ये नहीं लिखा ये सिर्फ मेरी कल्पना है और आशा है की ये कहानी सब के मन तक बिना शिकायत के पहुँचे....
seemasharma7192

Seema Sharma

New Creator