एक दीप तेरे नाम का जला लूँ तो क्या है अंधेरे में कुछ रोशनी पा लूँ तो क्या क्या है चला तो गया है तू मुझे छोड़कर अकेला तेरी यादों के साये में जगमगा लूँ तो क्या है न जाने किस आस पर मुझे इंतेजार है तेरा जिंदा हूँ कि तुझ से तुझी को पा लूँ तो क्या है। तेरी रोशनी