तुम्हारी यादों के साथ मैंने तुम्हे लिखे हर खत को संजोये रखा है, कई ख्वाबों-ओ-ख़्वाहिशों को ख़तोंर महफ़ूज रखा है; ईश्क तो मुकम्मल न हो पाया पर इज़हार के हसीन लम्हे को मैंने इज़हार-ए-खत में तुम्हारे लिए नज़र किये रखा है, दिल तुम्हारी बेक़रारी में कई दफ़ा ख़तों को पढ़ लेता है क्योंकि मैंने तुम्हारी मुस्कान का खूबसुरत जिक्र कई बार कर रखा है; तुम्हारी रूहानियत और दिलकशी पर निसार हर शख़्स होजाए,हर पन्ने पर मैंने तुम्हारी तसवीर को लफ़्ज़ों में बयां कर रखा है; कुछ एहसास तुम तक नहीं पहुँच पाये ख़तों में ही दफ़न रह गए, तुम जब रूठी थी तो तुम्हे खोने के दर्द को इन ख़तों में ही जुबां दे रखा है; याद अगर आई मेरी कभी तो उन पन्नों को पलटकर पढ़ लेना, मैंने मुसकुराते रहने का पैगाम तुम्हारे लिए नज़र कर रखा है; अब तो कोरे कागजों का ढेर लग जाता है जब भी खत लिखने की कोशिश करता हूँ,इन ख़तों का इन्तज़ार करनेवाला कौन बैठ रखा है । आदित्य कुंवर #love #shayari #hindi #urdu