नेत्र मुगलसराय में खोले,मुख से शांत स्वभाव थे भोले, देश जुनूनी थे,सहानुभूति से सरोबार, प्रतिभा के तोले, न अहम न दम्भ निर्धनों के हित मे हरवक्त मुख खोले, कर्मठ, कर्णधार देश के वो लाल हर कोई ही ये बोले, अपने निजी हित को त्याग स्व श्वेद से देश को नहलाया, आज जो आजादी का जश्न मना रहे ये उनकी है माया, नारा ऐसा दिया जय जवान,जय किसान सब को भाया, परिश्रम की भट्टी में स्व को नित नित उस लाल ने तपाया, देशप्रेमी ऐसा था रणभेरी में जा विश्व शान्ति का गुण गाया, फिर लहूलुहान उसका कीमती देह फिर देश के काम आया, प्रथम चरण (२ अक्टूबर प्रतियोगिता) लाल बहादुर शास्त्री जी को समर्पित काव्य सर्जन करें। ▪️पंक्ति बाध्यता: ४-१० #ProverbsWorld.in #yqdidi #yqbaba #pwcontest #PWchallenge #pwजयन्ती #PW2ndOctR1