"आदमी के सब्र का इंतेहान हो जैसे, रब का इंसानियत से इंतकाम हो जैसे! मिले फुरसत के पल तो मिले हैं कुछ ऐसे, दर्द-दवा और ज़हर का इंतजाम हो जैसे!!" - Anill Gautam Imtehaan Ho Jaise...!