काश!ऐसा हो जाये,कि पहले वाले दिन फिर लौट आये, सभी को रोजगार और दो वक़्त भर पेट भोजन मिल जाये, किसी से न कोई बैर रहे ,और आपसी प्रेम सद्भाव बढ़ जाये, हम सभी समान हैं, यह भेदभाव की संकीर्ण दीवार ढह जाए, न कोई तरसे खुशियों को,सभी के प्रांगण में हर्षोल्लास हो जाये, हिज्र-ए-रंजिश न हो किसी रिश्ते में, सभी रिश्तों की डोर मजबूत हो जाये। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-46 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा। 💫 प्रतियोगिता ¥46:- काश ऐसा हो जाए