Nojoto: Largest Storytelling Platform

क्या लिखूँ इतना ही उलझा हुआ है भीतर मन इतना ही शाख

क्या लिखूँ इतना ही उलझा हुआ है भीतर मन
इतना ही शाखित या कहूंगी 
इससे भी कहीं ज्यादा बिखरा हुआ है
प्रेम है केवल जो इन शाखाओं पर 
पुष्प ,कलियां खिलायें हुये है
कुछ स्मृतियां है जिनकी सूखी टहनियां
अब भी शाखाओं से जुड़ी हुयी है
जिन पर कुछ सूखे फूल भी है जो 
कभी कभी अपनी गन्ध बिखेर जाते हैं
और मेरे ह्रदय पर लगी कुम्हलायी कलियां 
खिल उठती है
उस क्षण लगता है कि इस जीवन में
जीवन अब भी शेष है।

©Astha gangwar © #aasthagangwar
क्या लिखूँ इतना ही उलझा हुआ है भीतर मन
इतना ही शाखित या कहूंगी 
इससे भी कहीं ज्यादा बिखरा हुआ है
प्रेम है केवल जो इन शाखाओं पर 
पुष्प ,कलियां खिलायें हुये है
कुछ स्मृतियां है जिनकी सूखी टहनियां
अब भी शाखाओं से जुड़ी हुयी है
जिन पर कुछ सूखे फूल भी है जो 
कभी कभी अपनी गन्ध बिखेर जाते हैं
और मेरे ह्रदय पर लगी कुम्हलायी कलियां 
खिल उठती है
उस क्षण लगता है कि इस जीवन में
जीवन अब भी शेष है।

©Astha gangwar © #aasthagangwar