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मेरी ख़ामोशी सुन लो भले मैं मुस्कुराऊँ, जुबां पे र

मेरी ख़ामोशी सुन लो भले मैं मुस्कुराऊँ, 
जुबां पे रुके कुछ शब्द हैं, शायद मैं कह न पाउँगा !!
कोई बात दफ़न है सीने में, किसी रोज़ तुम्हे सुनाऊंगा! 
कोई डर नहीं है दुनिया का, की ब्यान कर न पाऊंगा !!
गर मेरी ख़ामोशी सुन लो तो तुम्हे मालूम हो, 
कुछ राज़ छुपाए बिना मैं रह न पाउँगा !!






कुछ लफ्ज़ हैं पिरोए हुए किसी धागे में जैसे, 
कलम से उन्हें भी मैं लिख ना पाऊँगा !!
मेरी ख़ामोशी सुन लो शायद तुम समझ जाओ, 
यूँ बैठ के घुटनो पे मैं कह न पाउँगा.!!!

©Manish Sharma #Meri_Khamoshi
मेरी ख़ामोशी सुन लो भले मैं मुस्कुराऊँ, 
जुबां पे रुके कुछ शब्द हैं, शायद मैं कह न पाउँगा !!
कोई बात दफ़न है सीने में, किसी रोज़ तुम्हे सुनाऊंगा! 
कोई डर नहीं है दुनिया का, की ब्यान कर न पाऊंगा !!
गर मेरी ख़ामोशी सुन लो तो तुम्हे मालूम हो, 
कुछ राज़ छुपाए बिना मैं रह न पाउँगा !!






कुछ लफ्ज़ हैं पिरोए हुए किसी धागे में जैसे, 
कलम से उन्हें भी मैं लिख ना पाऊँगा !!
मेरी ख़ामोशी सुन लो शायद तुम समझ जाओ, 
यूँ बैठ के घुटनो पे मैं कह न पाउँगा.!!!

©Manish Sharma #Meri_Khamoshi