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वक्त कैसा भी हो चलो इस वक्त को टाला जाये, न हो पास

वक्त कैसा भी हो चलो इस वक्त को टाला जाये,
न हो पास कोई तो ख़ुद ही ख़ुद को सम्हाला जाये। " सा साहित्यिक मंच " द्वरा आयोजित दैनिक प्रतियोगिता मे भाग ले और अपनी कलम को दे नई पहचान।

🔴 सुन्दर शब्दों से केवल 2 पंक्तियों की रचना लिखें।

🔴 प्रत्येक दिन एक प्रतिभागी चुने जाएंगे।

🔴 रचना अच्छी होने पर ज्यादा भी चुने जा सकते हैं।
वक्त कैसा भी हो चलो इस वक्त को टाला जाये,
न हो पास कोई तो ख़ुद ही ख़ुद को सम्हाला जाये। " सा साहित्यिक मंच " द्वरा आयोजित दैनिक प्रतियोगिता मे भाग ले और अपनी कलम को दे नई पहचान।

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🔴 प्रत्येक दिन एक प्रतिभागी चुने जाएंगे।

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