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बस इश्क़ ही तो किया था जो ज़ुल्म दिए जा रहे हो, ऐ

बस इश्क़ ही तो किया था जो ज़ुल्म दिए जा रहे हो,
ऐ मौला और कसूर ही क्या था मेरा।
नादान थे सोच बैठे उसको अपना ख़ुदा,
इश्क़ में एक यही तो बहम था मेरा। #baham #ehsaas-e-zubaaN
बस इश्क़ ही तो किया था जो ज़ुल्म दिए जा रहे हो,
ऐ मौला और कसूर ही क्या था मेरा।
नादान थे सोच बैठे उसको अपना ख़ुदा,
इश्क़ में एक यही तो बहम था मेरा। #baham #ehsaas-e-zubaaN