बचपन का सपना था मेरा Dr. बनना , मेरे सपनो में जान पापा ने भरी तो वहीं हौसला मेरी मां ने दिया वहीं सपनों को हकीकत में अपनी महेनत से तब्दील तो किया मैंने और बन गई vatnory Dr. बहुत प्यारे होते हैं ये जानवर को कुछ किए बिना किसी का कुछ नहीं बिगड़ते लेकिन मुझे की पता था कि कुछ इन्सान के रूप में भी इन जानवरों से भी बत्तर जानवर होते है । कहते है कि इंसान पहले जानवर हुआ करता था लेकिन आज पता चला कि कुछ आज भी जानवर ही है। खता हुई मुझसे इतनी की मै इस भारत की गलियों में अकेली निकली ,जिस गली में आज भी जानवर बेखौफ घुमा करते हैं। इन जानवरों की मिजाज क्या दू ,अकेले राह में पाकर मुझे (28.11.19) मेरी मदद की आगाज कराते हैं लेकिन मुझे क्या पता कि इस मदद की आगाज में ये मेरा ही मजाक बना देंगे चलो अपनी हवस पूरी कर मेरा मजाक तो बना डाला साथ में मुझे जिंदा भी जला डाला ? क्या कलेजा है तुम्हारा कितनी हिम्मत है तुममें , पर भूल मत ये तेरी हिम्मत नहीं , तेरी नामर्द होने की पहचान है , तेरी दरिंदगी का सवाल है । भारत मुल्क के तुम भी हो , और मै भी । भारत माता है हमारी ऐसा कहते हो फिर क्यूं बार बार इस भारत की असली माता को तुम अपने हवस की शिकार बनाते हो क्यूं इन्हे इस देश की गली में ना निकालने की डर से बेबस कर जाते हो आखिर कब सुधरोगे तुम , कब समझोगे हमें । हमारे भी कुछ सपने है , कुछ अरमान है , लेकिन हर बार तुम अपनी दरिंदगी से मेरा गला घोट जाते हो जीते जी मुझे जिंदा जला जाते हो। इस तरह दरिंदगी कर तुमने मेरी जिन्दगी तो छीन ली , लेकिन याद रख वक्त तेरा भी आएगा और आज(6.12.19) देख ही ले देर सबेर ही सही मेरे देश के ही कुछ वीर सिपाहियों ने ही तेरा डेर कर डाला , तेरा एनकाउंटर कर दिया। और कहां ?? उसी जगह में जहां तुम लोगों ने मुझे बर्बाद कर डाला था हां ... सुकून हुआ आत्मा को मेरी तुम कातिलों का भी आज कतल जान बस अफसोस है थोड़ा की मेरे देश का कानून थोड़ा और सख्त होता तुम हर बार कुचल दिया जाता तो शायद ऐसा बरदाद पैदा ही ना होता । फिर से किसी की कहानी "प्रियंका" जैसी ना होती अफसोस है की तुम लोगो को देर से और कितनी आसान मौत मिली Priyanka Reddy