किस बात का ये हिंदुस्तान हैं जब यहाँ हर बेटी परेशान हैं। बनाकर बंधक ख्वाहिशों को रोक दी सपनों की उड़ान है। किस बात का ये हिंदुस्तान है। जहाँ भेदभाव घमासान है। हर तरफ़ फ़ैला भ्रस्टाचार है हर तरफ़ रिश्वतखोरी का गुणगान है। आजाद होकर भी आजाद नही हैं हिंदुस्तान की बेटियाँ। आज भी उनकी ज़िंदगी का किसी और के हाँथों में तीर कमान है। किस बात का ये हिंदुस्तान है जहाँ मर्दों को आसमान और महिलाओं को आज भी मिली नही पहचान है। करने को तो सरकार बहोत काम करती है जनता के हित के लिए बाउजूद इसके बेरोजगार यहाँ का हर दूसरा नौजवान है। Diwan G smita ❤️ishu