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सुनो आज तुमको गुस्सा आ रहा है न मुझपे तुम नही चाहत

सुनो आज तुमको गुस्सा आ रहा है न मुझपे
तुम नही चाहते हो रखना कोई रिश्ता मुझसे
मेरी बेवजह की रोक टोक से परेशान हो जाती हो
मेरी कही बात का बुरा मानकर रूठ जाती हो
जानबूझकर तो कभी अँजान बनकर 
सुनो एक दिन चला जाऊँगा तुम्हारी दुनिया से
छोड़ जाऊँगा तुम्हे तुम्हारी दुनिया में
 और फिर नही आऊँगा तुमको तुम्हारे
कपड़ों के लिए डाँटने 
नही सुनायी देगी मेरी वो आवाज जो टोकती है तुम्हे
कुछ भी मन का करने को..
यहाँ से वहाँ कही भी आने जाने से...
    सुनो चला जाऊँगा एक दिन
 तुम कहीं भी कुछ भी पहनकर जाना
किसी के भी साथ जाना बैठना खाना
किसी से भी व्हाट्सऐप पर बतलाना
किसी को किसी से मिलाने जाना
सुनो ये करते हुए अब निडर रहना तुम
इस बात से कि कोई तुम्हारी इस बात से नाराज होगा..
हटा लेगा कोई डीपी कर देगा  ब्लाक तुम्हे
ऐसा अब नही होगा....
सुनो चला जाऊँगा एक दिन....
छोड़कर ये अजनबी दुनिया...

छोड़कर तुम्हे तुम्हारी सहेलियों के साथ
वो सहेलियाँ जो मुझसे पहले भी थी मेरे बाद भी रहेंगी तुम्हारे साथ..
वो तुम्हारी बहने जिनसे तुम्हारे रिश्ते में आ गई है थोड़ी सी खटास..
 अब तुम्हे नही बोलना पड़ेगा किसी से झूठ
नही सुननी पडे़गी तुम्हे किसी की बाते...
सुनो चला जाउँगा मैं....
 छोड़कर चला जाऊँगा सारी बहसे सारे किस्से अधूरा छोड़कर
वो बाते जो तुम्हे चुभती हैं जाल की तरह वो तिलिस्म तोड़कर
नही आउँगा तुम्हारे झूठ को सच मानकर पागलों की तरह भागते हुये
नही दिखाई दूँगा तुम्हारे गाँव गली के आस पास चक्कर काटते हुए..
सुनो चला जाऊँगा एक दिन
ये दुनिया छोड़कर
चुपचाप बिना तुमसे कुछ कहे
बंद कर लूँगा आँख और सो जाऊँगा गहरी नींद में
मगर नही बंद करूँगा तुम्हे देखना
देखूँगा आकाश से तुमको...
आओगी छत पर अपनी तो चला आऊँगा 
हवाओं के झोके के साथ और छू लूँगा तुम्हारे जिस्म को..
मगर तब भी डर लगेगा कहीं तुम तब भी इसे छिछोरा पन न कह दो...
इसलिए आऊँगा बारिश बनकर और बहा ले जाऊँगा 
तुम्हारे पैर की मखमली धूल...
सुनो चला जाऊँगा मै.....
.... सुनो चला जाऊँगा मैं
सुनो आज तुमको गुस्सा आ रहा है न मुझपे
तुम नही चाहते हो रखना कोई रिश्ता मुझसे
मेरी बेवजह की रोक टोक से परेशान हो जाती हो
मेरी कही बात का बुरा मानकर रूठ जाती हो
जानबूझकर तो कभी अँजान बनकर 
सुनो एक दिन चला जाऊँगा तुम्हारी दुनिया से
छोड़ जाऊँगा तुम्हे तुम्हारी दुनिया में
 और फिर नही आऊँगा तुमको तुम्हारे
कपड़ों के लिए डाँटने 
नही सुनायी देगी मेरी वो आवाज जो टोकती है तुम्हे
कुछ भी मन का करने को..
यहाँ से वहाँ कही भी आने जाने से...
    सुनो चला जाऊँगा एक दिन
 तुम कहीं भी कुछ भी पहनकर जाना
किसी के भी साथ जाना बैठना खाना
किसी से भी व्हाट्सऐप पर बतलाना
किसी को किसी से मिलाने जाना
सुनो ये करते हुए अब निडर रहना तुम
इस बात से कि कोई तुम्हारी इस बात से नाराज होगा..
हटा लेगा कोई डीपी कर देगा  ब्लाक तुम्हे
ऐसा अब नही होगा....
सुनो चला जाऊँगा एक दिन....
छोड़कर ये अजनबी दुनिया...

छोड़कर तुम्हे तुम्हारी सहेलियों के साथ
वो सहेलियाँ जो मुझसे पहले भी थी मेरे बाद भी रहेंगी तुम्हारे साथ..
वो तुम्हारी बहने जिनसे तुम्हारे रिश्ते में आ गई है थोड़ी सी खटास..
 अब तुम्हे नही बोलना पड़ेगा किसी से झूठ
नही सुननी पडे़गी तुम्हे किसी की बाते...
सुनो चला जाउँगा मैं....
 छोड़कर चला जाऊँगा सारी बहसे सारे किस्से अधूरा छोड़कर
वो बाते जो तुम्हे चुभती हैं जाल की तरह वो तिलिस्म तोड़कर
नही आउँगा तुम्हारे झूठ को सच मानकर पागलों की तरह भागते हुये
नही दिखाई दूँगा तुम्हारे गाँव गली के आस पास चक्कर काटते हुए..
सुनो चला जाऊँगा एक दिन
ये दुनिया छोड़कर
चुपचाप बिना तुमसे कुछ कहे
बंद कर लूँगा आँख और सो जाऊँगा गहरी नींद में
मगर नही बंद करूँगा तुम्हे देखना
देखूँगा आकाश से तुमको...
आओगी छत पर अपनी तो चला आऊँगा 
हवाओं के झोके के साथ और छू लूँगा तुम्हारे जिस्म को..
मगर तब भी डर लगेगा कहीं तुम तब भी इसे छिछोरा पन न कह दो...
इसलिए आऊँगा बारिश बनकर और बहा ले जाऊँगा 
तुम्हारे पैर की मखमली धूल...
सुनो चला जाऊँगा मै.....
.... सुनो चला जाऊँगा मैं