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जो है अमेय ,अमिट, प्राणियों के प्राणनाथ , पुरुषोत्

जो है अमेय ,अमिट, प्राणियों के प्राणनाथ ,
पुरुषोत्तम भगवान राम की बात हूं मै कर रही

कैकेई के राजदुलारे, कौशल्या के हिमांशु 
उन्हीं रघुनंदन ,रघुनाथ की बात हूं मैं कर रही 

अर्धकशी में लेकर शिक्षा, पूर्णकर अवध की प्रतीक्षा 
कौशल्या नंदन ,रघुराज के चरणों में प्रणाम हूं मै कर रही

जानकी के करूणानिधान ,अयोध्या के शशांक 
उन्हीं राघवेन्द्र ,राघव की बात हूं मैं कर रही 
                          
सत्य ,प्रेम की बन पहचान  , धरकर सौम्य मुस्कान
  अवधेश  ,जानकीनाथ की बात हूं मैं कर रही

लालिमा को मुख पर धर ,लखन सिया के संग 
 उन्हीं भगवन राघवराम के चरणों में प्रणाम हूं मै कर रही
 
  त्याग कर जो राजसी ठाठ वनवासी का धर लिया वेश 
 त्यागशील , अवधप्रजापती के चरणों में प्रणाम हूं मैं कर रही
 
खाकर के जूठे बेर ,हनुमत सुग्रीव के बन भीत 
उन्हीं  कोशलाधीश ,करूणानिधान की बात हूं मै कर रही 
                           
 दे सम्मान ,  प्रथम अवसर जो शत्रु को सदा ही 
  दशरथनंदन, भगवान राम की बात हूं मै कर रही

 जो  हैं आर्यावर्त के कण कण में हर क्षण में 
 उन्हींं भगवन  राम के चरणों में प्रणाम हूं मै कर रही 

जो है अमेय , अमिट, प्राणियों के प्राणनाथ 
 पुरुषोत्तम भगवान राम की बात हूं मै कर रही ।।

©priya dehati
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